Mutual Funds News Today: निवेश के दौरान म्यूचुअल फंड्स से होने वाली एक्टिविटी, से जुड़ी जानकारी
में आज हम आपको बताएँगे की आप Mutual Funds में निवेश करने के बाद होने वाली एक्टिविटी को जानेगे निचे दिये गये सभी हाइलाइट्स को इस लेख में कवर करेंगे और एक विस्तार से जानकारी साझा करेंगे, आप लोग इस आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ेंगे को सभी जानकारी को जान पाएंगे।
Mutual Funds News Today, Highlight
- म्यूचुअल फंड्स निवेश के दौरान
- म्यूचुअल फंड का पुब्लिकेशन्स कैसे देखें?
- म्यूचुअल फंड में लॉक-इन पीरियड क्या होता है?
- म्यूचुअल फंड से पैसे कैसे निकालें?
- म्यूचुअल फंड में टैक्स क्या लगता है?
- म्यूचुअल फंड में डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में क्या अंतर है?
Mutual Funds निवेश के दौरान
म्यूचुअल फंड्स निवेश के दौरान अपने निवेश लक्ष्य को समझें लक्ष्य निर्धारित करें जैसे बच्चों की शिक्षा, घर खरीदना, या रिटायरमेंट के लिए बचत। उसी टाइप से म्यूचुअल फंड्स को समझे अपना समयावधि चुनें Short-term (1-3 साल), Medium Term (3-5 साल), या Long Term (5+ साल)। अपना समय दे। म्यूचुअल फंड्स एक जोखिम भरा निवेश है। जब भी इसमें पैसे डाले सोच समझ के डाले अपने जिम्मेदारी से डाले।
Mutual Funds का पुब्लिकेशन्स कैसे देखें?
म्यूचुअल फंड्स की पब्लिकेशन्स वे दस्तावेज़ होते हैं जो फंड हाउस निवेशकों को उनकी स्कीम्स के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए जारी करते हैं। इसमें स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (SID) और की इंफॉर्मेशन मेमोरैंडम (KIM) जैसे दस्तावेज़ शामिल होते हैं, जो स्कीम के उद्देश्य, निवेश रणनीति, जोखिम, शुल्क, और पुब्लिकेशन्स का विवरण देते हैं।
इसके अलावा, हर महीने फैक्टशीट्स और हर साल एनुअल रिपोर्ट्स जारी की जाती हैं, जो स्कीम की वर्तमान स्थिति और पिछले पुब्लिकेशन्स की झलक देती हैं। ये दस्तावेज़ म्यूचुअल फंड हाउस की वेबसाइट, AMFI, SEBI पोर्टल्स, और निवेश एप्स पर आसानी से उपलब्ध होते हैं, ताकि निवेशक सही निर्णय ले सकें।
म्यूचुअल फंड के संदर्भ में, पब्लिकेशन्स में वो सारी जानकारी होती है जो एक निवेशक को उस फंड के बारे में जानने की जरूरत होती है। जैसे, फंड में किस तरह के शेयर या बॉन्ड हैं, फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है, फंड से जुड़े खर्चे क्या हैं, आदि। ये जानकारी निवेशकों को यह तय करने में मदद करती है कि उन्हें इस फंड में निवेश करना चाहिए या नहीं। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि पब्लिकेशन्स एक तरह से म्यूचुअल फंड का रिपोर्ट कार्ड होता है, जिससे निवेशक यह जान सकते हैं कि फंड कितना अच्छा या बुरा प्रदर्शन कर रहा है।
Mutual Funds में लॉक-इन पीरियड क्या होता है?
म्यूचुअल फंड में लॉक-इन पीरियड वह अवधि होती है, जिसमें आप अपने निवेश को फंड से निकाल नहीं सकते। यह समय सीमा विशेष रूप से टैक्स-सेविंग फंड्स (जैसे ELSS – Equity Linked Savings Scheme) में होती है, जहां आमतौर पर 3 साल का लॉक-इन होता है। इस अवधि के दौरान, निवेशक फंड से पैसा निकालने, बेचने या ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं होती। लॉक-इन पीरियड का उद्देश्य निवेशकों को लॉन्ग टर्म निवेश के लिए प्रेरित करना और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाना है। लॉक-इन खत्म होने के बाद आप अपने निवेश को रिडीम कर सकते हैं। निकाल सकतें है।
Mutual Funds से पैसे कैसे निकालें?
आप इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड से पैसे निकालने (रिडेम्पशन) का प्रोसेस आसान है। आप अपने निवेश को उसी प्लेटफॉर्म से निकाल सकते हैं, जहां से आपने निवेश किया था, जैसे म्यूचुअल फंड की आधिकारिक वेबसाइट, मोबाइल ऐप, या थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म (जैसे Groww, Zerodha, या MyCAMS)। लॉग इन करने के बाद, उस फंड का चयन करें जिसे आप रिडीम करना चाहते हैं, राशि या यूनिट्स दर्ज करें, और “रिडीम” ऑप्शन पर क्लिक करें।
आपका पैसा आमतौर पर 1-5 कार्य दिवसों में आपके बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगा। सुनिश्चित करें कि फंड पर कोई लॉक-इन पीरियड न हो, और एग्जिट लोड (यदि लागू हो) का ध्यान रखें। ऑफलाइन तरीके में आपको रिडेम्पशन फॉर्म भरकर अपने म्यूचुअल फंड हाउस या आरटीए (रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट) के कार्यालय में जमा करना होता है। एक बार अनुरोध स्वीकृत हो जाने के बाद, आपका पैसा आपके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
Mutual Funds में टैक्स क्या लगता है?
म्यूचुअल फंड में निवेश पर टैक्स मुख्यत कैपिटल गेन टैक्स और कुछ अन्य शुल्कों के रूप में लगता है। यदि आप इक्विटी फंड में निवेश करते हैं, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 1 लाख रुपये तक के लाभ पर कोई टैक्स नहीं है, लेकिन 1 लाख से अधिक के लाभ पर 10% टैक्स लगता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के लिए, यदि आप 1 साल से पहले पैसा निकालते हैं, तो 15% टैक्स देना होगा।
3 साल से कम समय में रिडेम्प्शन पर लाभ
डेब्ट फंड्स के लिए, 3 साल से कम समय में रिडेम्प्शन पर लाभ आपकी आय के साथ जुड़कर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है, और 3 साल से अधिक के लाभ पर 20% टैक्स (इंडेक्सेशन के साथ) लगता है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड्स पर GST (Goods and Services Tax) फंड मैनेजमेंट शुल्क पर लागू होता है, जो एक्सपेंस रेशियो में शामिल रहता है। यह शुल्क फंड के NAV से स्वतः ही कट जाता है, जिससे निवेशकों को अलग से भुगतान नहीं करना पड़ता।
विशेष नोट
टैक्स नियमों में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं, इसलिए निवेश करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।
म्यूचुअल फंड में डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में क्या अंतर है
म्यूचुअल फंड में डायरेक्ट और रेगुलर प्लान दो प्रकार के निवेश ऑप्सन होते हैं। डायरेक्ट प्लान में आप सीधे म्यूचुअल फंड हाउस से निवेश करते हैं, बिना किसी Distributors या वित्तीय सलाहकार के माध्यम से, जिससे आपको कम एक्सपेंस रेशियो और अधिक लाभ मिलता है।
वहीं, रेगुलर प्लान में आप एक वितरक या सलाहकार के माध्यम से निवेश करते हैं, जो आपको निवेश की सलाह देते हैं, और इसके बदले फंड हाउस उन्हें एक कमीशन प्रदान करता है, जिससे इसके एक्सपेंस रेशियो डायरेक्ट प्लान से अधिक होता है। डायरेक्ट प्लान में कम शुल्क के कारण लंबी अवधि में अधिक रिटर्न मिल सकता है, जबकि रेगुलर प्लान में निवेशक को विशेषज्ञों की सलाह और गाइडेंस मिलता है।
Conclusion
दी गई जानकारी का उद्देश्य आपको सही सलाह देना है। आपको कभी भी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना हो तो किसी अच्छे सलाहकार और एक्सपीरियंस बन्दे से सलाह ले। और दस्तावेज और पॉलिसी को जरूर पढ़े जारूक बने अपनी पॉकेट मनी को देखते हुये इन्वेस्ट करे।