rbi monetary policy 2025: रेपो दर स्थिर, CRR में कटौती और आर्थिक प्रभाव

rbi monetary policy, RBI की नई मौद्रिक नीति 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल ही में अपनी 52वीं बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जो देश की आर्थिक दिशा को प्रभावित करेंगे। इस लेख में, हम इन निर्णयों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे, साथ ही एक सारणीबद्ध (टेबल) प्रारूप में प्रमुख आंकड़े और नीतिगत दरों की जानकारी देंगे।

मौद्रिक नीति समिति की 52वीं बैठक: मुख्य निष्कर्ष

MPC की 4 से 6 दिसंबर 2024 के दौरान हुई बैठक में निम्नलिखित प्रमुख निर्णय लिए गए:

  1. रेपो दर स्थिर: रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा गया।
  2. नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में कटौती: CRR में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 4% किया गया, जिससे बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता आएगी।
  3. मुद्रास्फीति अनुमान में वृद्धि: चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% किया गया।
  4. GDP वृद्धि अनुमान में कमी: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% किया गया।

नीतिगत दरों का सारणीबद्ध विवरण

नीचे दी गई सारणी में प्रमुख नीतिगत दरों का विवरण प्रस्तुत किया गया है:

नीतिगत दर वर्तमान दर (%) पिछली दर (%) परिवर्तन (आधार अंक)
रेपो दर 6.5 6.5 0
रिवर्स रेपो दर 3.35 3.35 0
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) दर 6.75 6.75 0
बैंक दर 6.75 6.75 0
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) 4.0 4.5 -50
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) 18.0 18.0 0

नोट: 1 आधार अंक = 0.01%

रेपो दर: अपरिवर्तित

रेपो दर वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक धनराशि उधार देता है। MPC ने रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा है, जो फरवरी 2023 से अपरिवर्तित है। यह निर्णय मुद्रास्फीति के दबाव और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR): 50 आधार अंकों की कटौती

CRR वह प्रतिशत है जो बैंकों को अपनी कुल जमा का एक हिस्सा RBI के पास नकद के रूप में रखना होता है। MPC ने CRR में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। इससे बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता उपलब्ध होगी, जो ऋण देने की क्षमता को बढ़ाएगी।

मुद्रास्फीति और GDP वृद्धि अनुमान

RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% किया है, जो खाद्य और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण है। साथ ही, GDP वृद्धि अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% किया गया है, जो दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में मंदी का संकेत देता है।

विशेषज्ञों की राय

विभिन्न विशेषज्ञों ने MPC के इन निर्णयों पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं:

  • मदन सबनवीस, मुख्य अर्थशास्त्री, बैंक ऑफ बड़ौदा: “CRR में कटौती से बैंकों को अधिक ऋण देने में मदद मिलेगी, जबकि रेपो दर में स्थिरता मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में सहायक होगी।”
  • पुनीत पाल, हेड-फिक्स्ड इनकम, पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड: “CRR कटौती से अल्पकालिक ब्याज दरों में स्थिरता आएगी, जिससे बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ेगी और ऋण की उपलब्धता में सुधार होगा।”
  • नरिंदर वाधवा, प्रबंध निदेशक, एसकेआई कैपिटल: “मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए यह एक सतर्क और व्यावहारिक कदम है।”

निष्कर्ष

RBI की मौद्रिक नीति समिति के ये निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिए गए हैं। बैंकों के लिए अतिरिक्त तरलता उपलब्ध होने से ऋण देने की क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव को ध्यान में रखते हुए, नीतिगत दरों में स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।

आने वाले महीनों में, RBI वैश्विक और घरेलू आर्थिक संकेतकों पर नजर रखेगा और आवश्यकतानुसार नीतिगत समायोजन करेगा, ताकि आर्थिक स्थिरता और विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

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